आज ईक बार, फिर से, तुम आ जाओ
फिर वही, मधुर बोली, तुम सुना जाओ
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सुकूँ की नींद, सोने की, है हसरत जागी
मिलन की आस, फिर मन को, है लागी
आ जाओ, तुम सारे, बंधन को तोड़कर
न आ सको, तो ख्वाबों में, ही आ जाओ
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आज ईक बार, फिर से, तुम आ जाओ
फिर वही, मधुर बोली, तुम सुना जाओ
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वो लड़कपन से, भरी तुम्हारी, सभी बातें
छुप-छुपा के, तुमसे की, हुयी मुलाक़ातें
आज अँधेरों में, डूबी हैं, तमाम गलियां
फिर यही हसरत, चराग़, तुम जला जाओ
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आज ईक बार, फिर से, तुम आ जाओ
फिर वही, मधुर बोली, तुम सुना जाओ
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इस तरह रूठना, अच्छा, नहीं होता है
साक़ी तुझ में, डूबने का, दिल करता है
अब, इस तरह तुम, सितमरानी न बनो
बनके मेरी, ख्वाबों की, रानी आ जाओ
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आज ईक बार, फिर से, तुम आ जाओ
फिर वही, मधुर बोली, तुम सुना जाओ
--अभिषेक कुमार ''अभी''
Aaj ik baar, fir se, tum aa jaao.
Fir whi, madhur boli, tum suna hao.
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Sukun ki nind sone ki hai hsrat jagi
Milan ki aas fir man ko hai laagi
Aa jao tum saare bandhan ko todkar
N aa sako to khwabo me hi aa jaao
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Aaj ik baar, fir se, tum aa jaao.
Fir whi, madhur boli, tum suna hao.
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Wo ladkpan se, bahri tumhari, sabhi baaten
Chhup-chhupa ke, tumse ki, huyi mulaqaten
Aaj andheron me, doobi hain, tamam gliyan
Fir yahee hasarat, charaag tum, jalaa jaao
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Aaj ik baar, fir se, tum aa jaao.
Fir whi, madhur boli, tum suna hao.
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Is tarah roothna achchha nahi hota
Saki tujh me doobne ka dil karta hai
Ab is tarah tum sitamraani na bano
Banke meri khwabon ki raani aa jao
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Aaj ik baar, fir se, tum aa jaao.
Fir whi, madhur boli, tum suna hao.
--Abhishek Kumar ''Abhi''
बहुत सुंदर नज्म.
ReplyDeleteहृदय के अंतःकरण से आदरणीय राजीव सर आपका धन्यवाद
Deleteबहुत भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteहृदय के अंतःकरण से आदरणीय कैलाश सर आपका धन्यवाद
Deletewowwwwwwww..............
ReplyDeleteThank You Sarika Ji.
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ReplyDeleteआदरणीय सर, इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु
तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
ReplyDeleteआदरणीय यशोदा, जी इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु
तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
बहुत खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteइस हौसला अफ़ज़ाई हेतु , तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
Deleteभावपूर्ण रचना के लिए बधाई |
ReplyDeleteआदरणीय, इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु
Deleteतहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
बहुत खूबसूरत एवँ नाज़ुक अहसासों को समेटे खूबसूरत रचना ! होली की हार्दिक शुभकामनायें !
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Deleteआदरणीय, इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु
तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
बहुत सुन्दर ...
ReplyDeleteआदरणीय उपासना जी, आपका हार्दिक आभारी हूँ।
Deleteआज अँधेरों में, डूबी हैं, तमाम गलियां
ReplyDeleteफिर यही हसरत, चराग़, तुम जला जाओ
सुन्दर नज़्म
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आपका हार्दिक आभार की इस विरह अभिव्यक्ति के साथ आत्मसाध्य हुए और सराहना प्रदान की।
Deleteसादर