Tuesday, 11 March 2014

हम तेरे आशिक़ हैं

भरी हैरत निग़ाहों से न देखो हम तो नाविक हैं
करो चाहे क़त्ल मेरा मगर हम तेरे आशिक़ हैं

अज़ब दुनियाँ गज़ब के ही यहाँ पर खेला होता है
जिसे होना मुलाज़िम था बने बैठे वो मालिक हैं

धरम के आज ठेकेदार वो अपने को कहते हैं
रहे चालाक छल कपटी बड़े जो ढोंगी नास्तिक हैं

चलन कैसा चला है आज मोबाइल का देखो जी
बताते जो कि मुम्बई में मगर रहते वो नाशिक हैं

कहें क्या अब बता उनसे 'अभी' रहते जो क़रीब हैं
मिरे रक़ीब वही निकले रहे जो कहते रफ़ीक़ हैं
—अभिषेक कुमार ''अभी''
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(नाविक=मांझी/नाव चलाने वाला)(रफ़ीक़=दोस्त)
(रक़ीब=एक स्त्री से दो लोगों की चाहत,वो परस्पर रक़ीब हुए)



Bhari hairat nigahon se n dekho hm to navik hain.
Karo chahe qatl mera magar hm tere aashiq hain.

Azab duniyan gazab ke hi yhan par khel hota hai,
Jise hona mulazim tha bne baithe wo maalik hain.

Dharm ke aaj thekedaar wo apne ko kahte hain,
Rhe chalaak chal kapti bde jo dhongi nastik hain.

Chalan kaisa chlaa hai aaj mobile ka dekho jee,
Btate jo ki mumbai me magar rhte wo nashik hain.

Kahen kya ab bta unse 'abhi' rhte jo kareeb hain,
Mire raqeeb wahi nikle rhe jo kahte rafeeq hain.
—Abhishek Kumar ''Abhi''
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(Navik=Manjhi/Naaw chalane wala) (Rafeeq=Dost)
(Raqeeb=Ek stri ke do premi parspar Raqeeb huye)

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-03-2014) को मिली-भगत मीडिया की, बगुला-भगत प्रसन्न : चर्चा मंच-1549 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. आदरणीय इस अभूतपूर्व हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।
      बहुत बहुत शुक्रिया

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    1. आदरणीय इस अभूतपूर्व हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।

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  3. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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  4. आदरणीय इस अभूतपूर्व हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।

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  5. एकदम सटीक ..... निशब्द करते भाव ख़ूबसूरत ग़ज़ल...

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    1. प्रिय भाई इस अभूतपूर्व हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।

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    1. आदरणीय उपासना जी, आपका हार्दिक आभारी हूँ।

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  7. Chalan kaisa chlaa hai aaj mobile ka dekho jee,
    Btate jo ki mumbai me magar rhte wo nashik hain... sateek

    bohat achcha likha hai

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