ओ बांके छोरे तू, छोड़ मोरी बहियाँ
नहि कर बरजोरी, नहि गलबहियाँ
पिया नहि पास मोहे, कैसे खेलूँ होरी
मन सुन आँगन सुना, पास तन्हाईयाँ
ओ बांके छोरे तू, छोड़ मोरी बहियाँ
भाए नहि तीज़ ये, भाए न त्यौहार है
मन को भाए मोहे, पसरी ख़ामोशियाँ
नहि कर बरजोड़ी, नहि गलबहियाँ
करम मोहे मीरा जैइसे, लिखे विधाता
पूरी उमर संग, मोहे रहेगी सिसकियाँ
ओ बांके छोरे तू, छोड़ मोरी बहियाँ
नैनन में नोर लिए, मन सराबोर है
जिनगी अधीर, अधीर मोरी अँखियाँ
ओ बांके छोरे तू, छोड़ मोरी बहियाँ
--अभिषेक कुमार ''अभी''
O banke chhore tu, chhod mori bahiyaan
Nahi kar barjori, nahi galbahiyaan
Piya nahi paas mohe, kaise khelun holi
Man sun aangan suna, paas tanhaiyan
Nahi kar barjodi, nahi galbahiyaan
Bhaye nahi teez ye, baye n tyohar hai
Man ko bhaye mohe, pasari khamoshiyan
O banke chhore tu, chhod mori bahiyaan
Karam mohe meera jaise, likhe vidhata
Poori umar sang, mohe rahegi sisakiyan
Nahi kar barjodi, nahi galbahiyaan
Nainan me nor liye, man sarabor hai
Jinagi adheer, adheer mori ankhiyan
O banke chhore tu, chhod mori bahiyaan
--Abhishek Kumar ''Abhi''
ati sundar
ReplyDeleteAabhar
Deleteसुन्दर....................
Deleteआपका स्वागत है
Deleteऔर सराहना प्रदान करने हेतु आपका हार्दिक आभार।
बहुत सुंदर ! अभी जी.
ReplyDeleteहोली की मंगलकामनाएँ !
एक शब्द खटक रहा है - बरजोरी हो या बरजोड़ी
आदरणीय सर आपका हार्दिक आभार।
Delete(मुझे भी संदेह है इसमें, कृपया आप ही सही शब्द कहें।मैं सुधर कर लूँगा।)
सादर
अभी जी,सादर.
Deleteमुझे लगता है बरजोरी शब्द होना चाहिए.कई पुराने हिंदी फिल्मों के होली वाले गीतों में बरजोरी शब्द का प्रयोग हुआ है.
हार्दिक आभार सर
Delete(मैंने सही किया। पुनः हार्दिक आभार)
बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआदरणीय सर आपका हार्दिक आभार।
Deleteबहुत सुन्दर , होली की शुभकामनायें....:)
ReplyDeleteआदरणीय उपासना जी, आपका हार्दिक आभारी हूँ।
Deleteआपको भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (16-03-2014) को "रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1553) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय सर आपके स्नेह से अभिभूत हूँ।
Deleteआप जो मेरे हौसले के पर को मज़बूती प्रदान कर रहे हैं इसके लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।
आप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
आभार सहित
—अभिषेक कुमार ''अभी''
HMMMMMM.....
ReplyDeleteyah to manu samjh me hi nahi aaya....pata nahi kya-2 likh diya...
wish u a vry happy holi to u n ur family......:-)
इस रचना में ''सारिका'' जी
Deleteविरह/एकाकी का भाव है, जिसमें कोई तीज या त्यौहार मन को नहीं रास आता है.
नायिका मनचले लड़कों से कह रही है
''ओ मनचले मेरी बाहें छोड़
मुझसे जोड़ जबरदस्ती मत कर
मेरे सजन पास नहीं है
इसलिए मन और घर दोनों ही सुना है
मुझे ये तीज और त्याहार पसंद नहीं
ये जो घर में खामोशियाँ है यही पसंद है
मेरी क़िस्मत उस भगवान् ने मीरा जैसी लिखी है
जिसमें सिर्फ दर्द और विरह है
आँखों में सिर्फ आँसू हैं और मन करुणा से भरा हुआ है
और इसलिए मेरी ज़िंदगी में सिर्फ और सिर्फ व्यकुलता है।
सादर
wow.......ha ab samjhi.....thanks....:-)
Deleteआपका हार्दिक आभार
Deleteहोली और विरह ... जन्म जन्म का नाता है ...
ReplyDeleteसुन्दर भावप्रधान रचना ... होली कि बधाई ...
आपका हार्दिक आभार की इस विरह अभिव्यक्ति के साथ आत्मसाध्य हुए और सराहना प्रदान की।
Deleteआपको भी स-परिवार होली कि हार्दिक शुभकामनायें।
होली की सीना जोरी--
ReplyDeleteबहुत खूब
आपका हार्दिक आभार की इस विरह अभिव्यक्ति के साथ आत्मसाध्य हुए और सराहना प्रदान की।
Deleteआपको भी स-परिवार होली कि हार्दिक शुभकामनायें।
वाह...सामयिक और सुन्दर पोस्ट.....आप को भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@हास्यकविता/ जोरू का गुलाम
आपका हार्दिक आभार
Deleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
bahut khoob ..
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें
बहुत सुंदरभावपूर्ण नायिका की याचना.. होली की शुभकामनाएं....
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteआप को भी स-परिवार होली की बहुत बहुत शुभकामनायें