बंद कर लिफ़ाफ़े में उन्होंने भेजा जो पैग़ाम है
ऐसी लाली छाई पढ़के कि हुआ वो सरेआम है
अब तलक डरते न थे जो किसी से भी हम
अब यही बन्दा हो गया उन्हीं का ग़ुलाम है
आफ़ताब से महताब तक बहुत देखा है हमने
पर जबसे उनको देखा उन्हीं से सुबहो-शाम है
माना की बड़ी मुश्किल है इश्क़ के सफ़र में
गर पाक़ मुहब्बत हो मर के भी अमर नाम है
जो लोग करते हैं मुहब्बत से परहेज़ 'अभी'
सच है जानिये इसके बिना ज़िन्दगी हराम है
—अभिषेक कुमार ''अभी''
Band kar lifafe me unhone bheja jo paigam hai
Aisi lali chhayi padhke ki huaa wo sare aam hai
Ab talak darte na the jo kisi se bhi ham
Ab yahi banda ho gya unhin ka gulam hai
Aaftab se mahtab tak bahut dekha hai hamne
Par jbse unko dekha unhin se subho-sham hai
Maana ki badi mushkil hai ishq ke safar me
Gar paak muhabbat ho mar ke bhi amar naam hai
Jo log karte hain muhabbat se parhez ''abhi''
Sach hai janiye iske binaa zindagi haram hai
—Abhishek Kumar ''Abhi''
बहुत खूब कहा...
ReplyDeleteआपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (03-03-2014) को "बसंत का हुआ आगमन" (चर्चा मंच-1540) पर भी है
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआदरणीय सर आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deletesundar bhavabhivyakti ...
ReplyDeleteसम्मानिता कविता जी,आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल ....!!!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका रंजना जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गजल.
ReplyDeleteनई पोस्ट : स्वप्न सुनहरे
आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
Deleteमाना की बड़ी मुश्किल है इश्क़ के सफ़र में
ReplyDeleteगर पाक़ मुहब्बत हो मर के भी अमर नाम है ...बहुत सुन्दर
आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
DeleteBahut sundar,
ReplyDeleteVinnie
आपका हार्दिक अभिनन्दन है।
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