इस ज़िंदगी को, हम यहाँ, अकेले ही गुज़ारे हैं
कोई न आए साथ को, यहाँ जब जब पुकारे हैं
हालात ऐसे आज हैं, कि सब, शब में समाए हैं
देखे सहर मुद्दत बिता, सुबह भी निकले तारे हैं
कुश्ती मची इक-दूजे में,हराए कौन अब किसको
घूमा नज़र, देखो जहाँ, वहीं दिखते अखाड़े हैं
दोनों जहाँ जिसने बनाया, वो भी देख हँसता है
जिन्हें सजाने को कहा, वही इन्हें उजाड़े हैं
अब तो सभी पूजे उसे, न दौलत की कमी है जिसे
कोई न सुनता उनको है, 'अभी' जो बे-सहारे हैं
—अभिषेक कुमार ''अभी''
(शब=रात)
(बहर:मुसतफइलुन/मुसतफइलुन/मुफाईलुन/मुफाईलुन)
Is zindgi ko, ham yhan, akele hi guzare hain
Koi n aaye sath ko, yhan jab jab pukare hain
Halat aise aaj hen,ki sb, shb me smaye hain
Dekhe sahar muddt bita, subah bhi nikle tare hain
Kushti machi ik-duje me, haraye kaun ab kisko
Ghuma nazar, dekho jahan, whin dikhte akhade hain
Dono jahan jisne banaya, wo bhi dekh hansta hai
Jinhen sajaane ko k'ha, wahi inhain ujade hain
Ab to sabhi pooje use, n daulat ki kami hai jise
Koyi n sunta un ko hai, 'abhi' jo be-sahare hain.
-Abhishek Kumar ''Abhi''
(Shb=Raat)
hmmmmmmmmmmmmm.........:-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (28-03-2014) को "जय बोलें किसकी" (चर्चा अंक-1565) "अद्यतन लिंक" पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
दोनों जहाँ जिसने बनाया, वो भी देख हँसता है
ReplyDeleteजिन्हें सजाने को कहा, वही इन्हें उजाड़े हैं
बहुत सुंदर गज़ल.
वाह !
ReplyDeleteबढ़िया अभिषेक भाई सुंदर रचना , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
कोई न सुनता उनको है, 'अभी' जो बे-सहारे हैं
ReplyDelete--अब क्या कहें..अपनी ही दास्तां लगती है!! बहुत ही उम्दा!!
बहुत सुंदर गज़ल,सादर...!
ReplyDeleteसुंदर गज़ल..वाह !
ReplyDeleteअभी जो वे बे-सहारे हैं .........
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
भावपूर्ण प्रस्तुति |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteसुंदर गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई
ReplyDeleteरचना के पीछे के भाव तक पंहुचा दिया आपके शब्दों ने!
ReplyDelete"..दोनों जहाँ जिसने बनाया, वो भी देख हँसता है
जिन्हें सजाने को कहा, वही इन्हें उजाड़े हैं.."
उत्तम :)
sare sher bohat hi bhavpoorn...sundar ghazal
ReplyDeleteबहुत सुंदर गज़ल
ReplyDelete