ये धूप, और इसकी, तपिश मौला
ये मुफ़्लिसी, इसकी, ख़लिश मौला
है खिंच गई, सरहदें, ज़मीं पे यहाँ
हो गई परिंदों, पे भी, बंदिश मौला
तूने सभी को, एक सा बनाया था
फिर किसने बोई, ये रंजिश मौला
हैं फूल से लगते, पैदाइश के वक़्त
ताउम्र वैसे रहें, ये ख्वाहिश मौला
मैं आज, पल पल, मर रहा हूँ यहाँ
देख दौरे जहां की, नुमा'इश मौला
दुआ मांगता 'अभी' तेरी रहमत की
देख नज़र उठा यही गुज़ारिश मौला
—अभिषेक कुमार ''अभी''
Ye dhoop or iski tapish maula.
Ye muflisee iski khalish maula.
Hai khich gayi sarhden zmin pe yhan
Ho gayi prindon pe bhi bandish maula.
Tune sabhi ko ek sa banaya tha
Fir kisne boyi ye ranjish maula.
Hain phool se lagte paidaish ke waqt
Taumr waise rhen ye khwahish maula.
Main aaj pal pal mar rha hun yahan
Dekh daure jahan ki numa'ish maula.
Duaa mangta 'abhi' teri rahmat kee
Dekh nazar utha yahi guzarish maula.
—Abhishek Kumar ''Abhi''
सुन्दर ....
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteहार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteखूबसूरत और ज़माने के शेर हैं सभी ... लाजवाब ...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteतूने सभी को, एक सा बनाया था
ReplyDeleteफिर किसने बोई, ये रंजिश मौला
...बहुत ख़ूबसूरत और दिल को छूती प्रस्तुति...
हार्दिक धन्यवाद
Deleteखूबसूरत शेर..!! हकीकत को बयां करते हुए ....
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteतूने सभी को, एक सा बनाया था
ReplyDeleteफिर किसने बोई, ये रंजिश मौला...बहुत ख़ूबसूरत
हार्दिक धन्यवाद
Deleteसम्मानित ''राजीव जी'' आपका हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर .......सशक्त लेखन !!
ReplyDeleteसम्मानित ''संजय भास्कर'' आपका हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।
Deleteअति सुंदर भाव प्रवाह
ReplyDeleteआपका हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (10-03-2014) को आज की अभिव्यक्ति; चर्चा मंच 1547 पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हार्दिक शुक्रगुज़ार हूँ।
Deleteबहुत सुंदर "अभि" !!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deletebahut sunder abhivyakti
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
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