मैं उनके राह, आने की, खड़ा ख़ामोश तकता हूँ
न सोता हूँ, न जगता हूँ, पड़े हरपल तड़पता हूँ
कहीं ये दिल न पाये चैन, है कैसी अदावत ये
रहूँ मैं दूर जितना, और उतना ही उलझता हूँ
इनायत कर के तुमने ये, न छोड़ा अब कहीं का है
दुआएँ दे, मगर तुमको, बड़ा बेचैन, रहता हूँ
पता है, दौर कैसा ये, यहाँ पहरा सदा रहता
मगर वादा खिलाफ़ी को, न मैं अच्छा समझता हूँ
ज़माने भर से, करके वैर, ज़िंदा कौन रह पाया
मगर हक़ के लिए लड़ने, सदा मैं जज़्ब रखता हूँ
'अभी' की ये इल्तिजा है, समय बर्बाद ना करना
यही जज़्बात मैं अपनी, ग़ज़ल में आज कहता हूँ
-अभिषेक कुमार ''अभी''
(अदावत=दुश्मनी)(जज़्ब=भावना)(इल्तिजा=प्रार्थना)
बहर 'हजज मुसम्मन सालिम'
Main unke rah, aane ki, khda khamosh takta hun
N sota hun, n jagta hun, pade har pal tadpta hun
Kahin ye dil n paye chain, hain kaisi adaawat ye
Rahun main door jitnaa, or utnaa hi ulajhta hun
Inayat kar ke tumne ye, n chhoda ab kahin ka hai
Duaayen de, magar tumko, bda bechain rhta hun
Pata hai, daur kaisa ye, yahan pahra sada rahta
Mgar wda khilafi ko, n main achchha smjhta hun
Zmane bhar se, karke vair, zinda kaun rah paya
Mgar haq ke liye ladne, sda main jazb rkhta hun
'Abhi' ki ye iltija hai, samay barbaad naa karna
Yahi jazbat main apni, gazal me aaj kahta hun..
-Abhishek Kumar ''Abhi''
(Adaawat=Dushmni)(Jazb=Bhavna)(Iltija=Prarthna)
ReplyDeleteपता है, दौर कैसा ये, यहाँ पहरा सदा रहता
मगर वादा खिलाफ़ी को, न मैं अच्छा समझता हूँ
सुन्दर और भावपूर्ण गज़ल|
आशा
आदरणीय आपके इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं
Deletebahut badhiya
ReplyDeleteआदरणीय आपके इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं
Deleteवाह ! बहुत सुन्दर ! हर शेर अर्थपूर्ण एवं हृदयस्पर्शी ! बहुत खूब !
ReplyDeleteआदरणीय आपके इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं
Deleteइनायत कर के तुमने ये, न छोड़ा अब कहीं का है
ReplyDeleteदुआएँ दे, मगर तुमको, बड़ा बेचैन, रहता हूँ
bahut sundar bhavon ko shabdon me piroya hai abhi ji .
Deleteशालिनी जी आपका स्वागत है
हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ। जिस शे'र को आपने इंगित किया है वो हमारा भी प्रिय है। आपका बहुत आभार
आगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करती रहेंगी।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (26-03-2014) को फिर भी कर मतदान, द्वार पर ठाढ़े नेता- चर्चा मंच 1563 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Deleteआदरणीय सर प्रणाम
आपका हृदय के अंतःकरण से धन्यवाद करता हूँ। चर्चा मंच पे इस ग़ज़ल को आपने स्थान दिया इसके लिए आभारी हूँ।
अर्थ पूर्ण शेर हैं सभी .. मस्त बहर है ... लाजवाब मतला है ...
ReplyDeleteआदरणीय सर हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।
Deleteआगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करते रहेंगे।
इनायत कर के तुमने ये, न छोड़ा अब कहीं का है
ReplyDeleteदुआएँ दे, मगर तुमको, बड़ा बेचैन, रहता हूँ
पता है, दौर कैसा ये, यहाँ पहरा सदा रहता
मगर वादा खिलाफ़ी को, न मैं अच्छा समझता हूँ
उम्दा शेर कहे हैं आपने..... बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल !
Deleteडॉ शरद जी आपका स्वागत है
हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ। जिस शे'र को आपने इंगित किया है वो हमारा भी प्रिय है। आपका बहुत आभार
आगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करती रहेंगी।
ग़ज़ल तो खूबसूरत है ही, मौसम भी बेरहम है दिल से निकली बात .
ReplyDeleteभाई हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।
Deleteआगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करते रहेंगे।
बहुत सुंदर गजल.
ReplyDeleteनई पोस्ट : सिनेमा,सांप और भ्रांतियां
आदरणीय सर हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।
Deleteआगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करते रहेंगे।
वाह! बहुत खूब...हर शेर उम्दा है...ढेर सारी दाद कबूल फरमाएं...
ReplyDeleteआदरणीय सर हौसला अफ़ज़ाई के लिए आभारी हूँ।
Deleteआगे भी आशा है की आप हौसला और मार्गदर्शन करते रहेंगे।
ज़माने भर से, करके वैर, ज़िंदा कौन रह पाया
ReplyDeleteमगर हक़ के लिए लड़ने, सदा मैं जज़्ब रखता हूँ
...वाह..बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...सभी अशआर बहुत उम्दा और सार्थक...
आदरणीय आपके इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए हम आपके शुक्रगुज़ार हैं
Deleteवाह, वाह! बहुत ही शानदार प्रवाह पूर्ण सार्थक ग़ज़ल, मन से बधाई...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय कल्पना जी।
Deleteबहुत पुरजोर से जोश भर दिया आपने हृदय के अन्तःकरण तक गद गद हो गया।
पुनः आपका आभार
…………||जय हिन्द||…………
ReplyDelete√√√√√●●वन्दे मातरम्●●√√√√√
bhaiyya jee super......................
जीते रहो भाई जीते रहो
Deletewah abhi bhai, har sher umda
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