Monday 16 June 2014

ज़िंदगी के उसूल/Zindagi ke usool

ज़िन्दगी में उसूल 
उन उसूलों पे चलना 
सबके बस की बात कहाँ। 
ये मेरा सौभाग्य है 
ऐसे इंसान को 
मैंने देखा यहाँ। 

न कोई साज 
न कोई सज्जा 
सादा जीवन जी कर। 
ख़ुशियों की बारिश की 
ग़म के आँसू 
पी पी कर।

मेरे मन की 
अब यही हसरत 
आप सा मैं भी बन पाऊँ।
हाँ पिताजी 
आपके राह पे 
मैं भी आगे चल पाऊँ। 
----''सादर प्रणाम''----
--अभिषेक कुमार ''अभी''
Zindagi me usool
Un usoolon pe chlna
Sabke bas ki baat kahan..
Ye mera saubhagy hai
Aise insaan ko
Maine dekha yahan.

N koi saaj
N koi sajja
Sada jeevan jee kar.
Khushiyon ki barish ki
Gam ke aansoo
Pee pee kar.

Mere man ki
Ab yahi hasarat
Aap sa main bhi ban paun..
Haan ! Pitaji
Aapke raah pe
Main bhi aage chal paun.
----Saadar Pranaam----
--Abhishek Kumar ''Abhi''

13 comments:

  1. भावपूर्ण अभिव्यक्ति .... !!

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (17-06-2014) को "अपनी मंजिल और आपकी तलाश" (चर्चा मंच-1646) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

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  4. पिता के बताये मार्ग पर प्रशस्त हों । सुन्दर भाव

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  5. मन को छू रही है ये लाइनें। बहुत सुन्दर

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  6. बहुत सुन्दर सोच...शुभकामनायें!

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  7. सुंदर प्रस्तुति।

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  8. पिता जीवन की डोर ऐसे थामें रहते हैं जैसे इश्वर ...
    उनके जैसा बन्ने की चाह हर बच्चे में रहती है ....

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  9. sunder rachna for values of father.

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