Saturday, 30 August 2014

प्रिय तुम्हारी मादकता में

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (01-09-2014) को "भूल गए" (चर्चा अंक:1723) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन प्रस्तुति

    ReplyDelete
  3. अच्छी रचना !!
    manojbijnori12.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. सरकश ने जिसको क़लम किया, वही सर जिंदाबाद रहा..,
    एक तेरी यादों के सिवा इस दिल को कुछ ना याद रहा..,
    तेरे रब्त ऐ अहले-सनम सब रिश्ते नाते भूल गए.....

    ReplyDelete
  5. उम्दा प्रस्तुति

    ReplyDelete