इतना बता दे उनको, जाके तू ऐ पवन
उनके बिना व्याकुल, अब ये मेरा जीवन
हरपल ही आस में बैठी, भूखी और प्यासी
वो छोड़ मुझे क्यूँ दूर, बनके जैसे सन्यासी
प्रीत में उनके जोगन बन फिरती वन में हूँ
उनके बिन सुना सुना है, ये मेरा घर आँगन
इतना बता दे उनको, जाके तू ऐ पवन
उनके बिना व्याकुल, अब ये मेरा जीवन
मैं एक कली थी, बगियन की शोभा बढ़ाती
मैं तो एक पंछी थी, ऊँचे गगन में विचरती
जिसे देख मन हो हर्षित, नैन चैन पाते थे
अब हरपल ही जलती है, मेरे अंदर अगन
इतना बता दे उनको, जाके तू ऐ पवन
उनके बिना व्याकुल, अब ये मेरा जीवन
उनसे प्रेम किया, उनसे ही निभाई प्रीत
बदले ये सिला मिला, लिखूँ विरह के गीत
बरखा बहे नैनों से, जीवन सुखा सुखा है
पीड़ा के बादल फटने से घायल मेरा तन
इतना बता दे उनको, जाके तू ऐ पवन
उनके बिना व्याकुल, अब ये मेरा जीवन
-अभिषेक कुमार ''अभी''
Itna btaa de unko, jaake tu e pawan
Unke bina vyakul, ab ye mera jeevan
harpal hi aas me baithee, bhookhi or pyaasi
Wo chhod mujhe kyun door, bnke jaise sanyasi
Preet me unke jogan ban firtee van me hun
Unke bin suna suna hai, ye mera ghar aangan
Itna btaa de unko, jaake tu e pawan
Unke bina vyakul, ab ye mera jeevan
Main ek kalee thi, bagiyan ki shobhaa badhaati
Main to ek panchhi thi, unche gagan me vicharti
Jise dekh ke man ho harshit, nain chain pate the
Ab har pal hi jalti hai, mere andar agan
Itna btaa de unko, jaake tu e pawan
Unke bina vyakul, ab ye mera jeevan
Unse prem kiya, unse hi nibhai preet
Bdle ye sila mila, likhun virah ke geet
Brkha bahe naino se, jivan sukha sukha hai
Peeda ke badal fatne se ghayal mera tn
Itna btaa de unko, jaake tu e pawan
Unke bina vyakul, ab ye mera jeevan
-Abhishek Kumar ''Abhi''
बहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteBahut Sunder
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDeletebahut bhawpurn rachna..ati uttam
ReplyDelete