Wednesday, 27 August 2014

न इज़्हार न प्यार करना/N izhaar n pyaar karna

यहाँ हर किसी से न इज़्हार करना
यहाँ हर किसी से न अब प्यार करना

कहाँ हर कली ही गुलाब सी होती
किसी से भी संभल के इक़रार करना

यहाँ पीर काफ़िर बने घूमते हैं
जरा सोच कर अब ही इतिबार करना
 
क़दम दर क़दम ठोकरें भी मिले तो
ख़ुदी से कभी तुम न तक़रार करना

ग़मे ज़िंदगी क्यूँ बिताएँ यहाँ हम
ये रहमत ख़ुदा की है गुलज़ार करना

अगर तीरगी ज़िद्द पे आ गई है
'अभी' फ़िर दीये की तू बौछार करना 
-अभिषेक कुमार ''अभी''
Yahan har kisi se n izhaar karna
Yahan har kisi se n ab pyaar karna

Kahan har kli hi gulab si hoti
Kisi se bhi sambhal ke ikraar karna

Yahan peer kafir bane ghumte hain
Jara soch kar ab hi itibaar karna

Qadam dar qadam thokren bhi mile to
Khudi se kabhi tum n taqraar karna

GmeN zindgi kyun bitayen yahan ham
Ye rahmat khuda ki hai gulzaar karna

Agar teergi zidd pe aa gyi hai
'Abhi' fir diye ki tu bauchhar karna
-Abhishek Kumar ''Abhi''

6 comments:

  1. Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 29 . 8 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

    ReplyDelete
  2. "यहाँ पीर काफ़िर बने घूमते हैं जरा सोच कर अब ही इतिबार करना" सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय अभि जी!
    धरती की गोद

    ReplyDelete