Thursday, 24 April 2014

किस ज़माने की बात करते

बात जो भी है ज़ुबाँ से आप कहिये
इश्क़ गर है तो किसी से भी न डरिये

रात दिन जलना नहीं होता सही है
गर जले तो आफ़ताबी बन चमकिये 

राह कोई भी कहाँ आसान अब है
साथ चलके ही सफ़र आसान करिये

जो किसी को भी ज़ुबाँ दे गर दिया हो
सर कटे तो भी न हरगिज़ फिर मुकरिये   

किस ज़माने की अभी हो बात करते
आज कल इस बेवकूफ़ी में न रहिए
--अभिषेक कुमार ''अभी''

(आफ़ताबी=सूर्यमुखी फूल)
बहर : फाइलातुन/फाइलातुन/फाइलातुन
Baat jo bhi hai zuban se aap kahiye
Ishq gar hai to kisee se bhi n dariye

Raat-din jalna nahi hotaa sahee hai
Gar jale to aaftaabee ban chamkiye

Raah koyi bhi kahan aasaan ab hai
Saath chalke hi safar aasaan kariye

Jo kisi ko bhi zuban de gar diya ho
Sar kate to bhi n hargiz fir mukariye

Kis zamane ki ''abhi'' ho baat karte
Aaj kal is bewkoofee me n rahiye.
--Abhishek Kumar ''Abhi''
(Aaftaabee=Sun flower)

4 comments:

  1. अभिषेक भाई , सुंदर व बेहतरीन रचना , तारीफ करूँ क्या उसकी जिसने आप को बनाया , धन्यवाद !
    नवीन प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ सच्चा साथी ~ ) - { Inspiring stories -part - 6 }


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  2. वाह क्या बात है! खूबसूरत ग़ज़ल...

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  3. बहुत सुन्दर

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