वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें
उनके पहलू में एक एक पल जो बिता है
उस एक पल में सदियों को हमने जिया है
वो जज़्बात एहसास वो उनका अपनापन
कानों में धुन रह रह के आती आरे आरे
वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें
दिल का हर रिश्ता ही अनमोल होता है
जो न समझे इसे वो ख़ुशी को खोता है
ज़िंदगी में सिवा, प्यार के, क्या रखा है
कर लो कर लो अपने दिल से इज़हारें
वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें
ज़मीं पे ही तो जन्नत की तमाम खुशियाँ
हर एक दिल में बना लो अपना आशियाँ
किसी बंधन से न रुकें कोई वैर न पालें
दिल में अपने हो सिर्फ़ मुहब्बत की खुमारें
वो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
आज फिर लगता वो पुकारें
--अभिषेक कुमार ''अभी''
Wo fizayen raunken wo baharen
Aaj fir lagta wo pukaaren.
Unke pahlu me ek ek pal jo bita hai
Us ek pal me sadiyon ko hamne jiya hai
Wo jazbaat ehsaas wo unka apnapan
Kanon me dhun rah rah ke aati aare aare
Wo fizayen raunken wo baharen
Aaj fir lagta wo pukaaren.
Dil kaa har rishtaa hi anmol hotaa hai
Jo n samjhe ise wo khushi ko khota hai
Zindgi me siwa, pyaar ke, kya rakha hai
Kar lo kar lo apne dil se izhaaren
Wo fizayen raunken wo baharen
Aaj fir lagta wo pukaaren.
Zmin pe hi to jannat ki tamam khushiyan
Har ek dil me bana lo apna aashiyan
Kisi bandhan se n rukea koi vair n palen
Dil me apne ho sirf muhabbat ki khumaren
Wo fizayen raunken wo baharen
Aaj fir lagta wo pukaaren.
--Abhishek Kumar ''Abhi''
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (10-05-2014) को "मेरी हैरानियों का जवाब बस माँ" (चर्चा मंच-1608) पर भी होगी!
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब गजल...
ReplyDelete:-)
बहुत भावपूर्ण एवं सरस रचना !
ReplyDeleteलाजबाब गजल लिखें है .
ReplyDeleteभाव प्रेम के उमड रहे हैं मन में सारे,
ReplyDeleteतब आपको क्यूं न लगे उन्हें पुकारें।
बहुत सुंदर गजल.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कालबेलियों की दुनियां
बहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति ..
ReplyDeleteवो फिज़ाएँ रौनकें, वो बहारें
ReplyDeleteआज फिर लगता वो पुकारें....bahut badhiya
वो फिजाएं रौनके....मन मोह लिया, बेहद खूबसूरत ।
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत रचना....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहित हो लाजवाब रचना है ...
ReplyDeleteसुंदर रचना...
ReplyDeleteसुन्दर गीत, बधाई.
ReplyDeleteआज फिर लगता है वो पुकारें...बहुत सुंदर!
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