Tuesday, 20 May 2014

ग़ज़ल को जो समझ ले/Gazal ko jo samjh le

कहाँ वीराने में कोई, सफ़र पे साथ चलता है
जहाँ का साथ तो हरदम, उजालों में ही पलता है  

बहुत से यार ने हमको, दिया है प्यार ख़ुशियों में
दुःखों में साथ जब कोई, न दे तो प्यार खलता है

कली से फूल बनते हैं, महक कर टूट जाते हैं
जिसे भी ज़िंदगी ये है मिला, इक रोज़ ढ़लता है

सभी को पास रखने की, तलब ने दूर कर डाला
जिसे अपना कहो समझो, वही तो आज छलता है  

दिलों से बात जब निकले, ग़ज़ल तब बोल उठती है
ग़ज़ल को जो समझ ले, वो अभी इस में ही ढ़लता है
--अभिषेक कुमार ''अभी''

Kahan virane me koi, safar pe sath chlta hai
Jahan ka sath to hardam, ujalon me hi palta hai

Bahut se yar ne hmko, diya hai pyar khushiyon me
Dukhon me sath jab koi, n de to pyar khlta hai

Kali se phool bante hain, mahak kar toot jate hain
Jise bhi zindgi ye hai mila, ik roz dhalta hai

Sabhi ko paas rakhne ki, talab ne door kar dala
Jise apna kaho samjho, wahi to aaj chhlta hai

Dilon se baat jab nikle, gazal tab bol uthati hai
Gazal ko jo samjh le, wo abhi is me hi dhalta hai
--Abhishek Kumar ''Abhi''

8 comments:

  1. बहुत खूबसूरती के साथ जज्बातों को अल्फाजों में ढाला है ! बहुत खूब !

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  2. सभी को पास रखने की, तलब ने दूर कर डाला
    जिसे अपना कहो समझो, वही तो आज छलता है
    excellent ....

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  3. जिसे अपना कहो समझो, वही तो आज छलता है
    उम्दा ग़ज़ल

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  4. लाजवाब , मन को छूने वाली गजल ।

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  5. बहुत सुंदर ग़ज़ल

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  6. वाह! बहुत खूब...ढेर सारी दाद कबूल फरमाएं...

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