रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
कुछ अपने जो बने बेगाने
कुछ बेगाने बने जो अपने देखे हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
साथ साथ की कसमें खा कर
बीच भंवर में हमें गिरा कर
गिर के सम्भले, फिर चल निकले
काँटों को भी हमने आख़िर कुचले हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
मुख पे ओढ़े लिबास हँसी के
ग़म में भी गीत गाए ख़ुशी के
आँसू को पी पी कर निकले
बदले मौसम पर हम न बदले हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
जब दिल से निकले तराने
प्रीत के गीत या विरह के फ़साने
मिले तज़ुर्बे से हमने रच डाले हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
--अभिषेक कुमार ''अभी''
Rang birange sapne hmne dekhe hain
Kuchh apne jo bne begane
Kuchh begane bne jo apne dekhe hain
Rang birange sapne hmne dekhe hain
Sath sath ki kasmen kha kar
Beech bhnwar me hmen gira kar
Gir ke smbhle, fir chal nikle
Kanton ko bhi hmne aakhir kuchle hain
Rang birange sapne hmne dekhe hain
Mukh pe odhe libas hansi ke
Gam me bhi geet gaye khushi ke
Aansoo ko pi pi kar nikle
Badle mausam par ham n badle hain
Rang birange sapne hmne dekhe hain
Jab dil se nikle tarane
Preet ke geet ya virah ke fasane
Mile tazurbe se hmne rach dale hain
Rang birange sapne hmne dekhe hain
--Abhishek Kumar ''Abhi''
बहुत ख़ूबसूरत गीत...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (27-05-2014) को "ग्रहण करूँगा शपथ" (चर्चा मंच-1625) पर भी है!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
Bohat Sundar rachna..
ReplyDeleteमुख पे ओढ़े लिबास हँसी के
ReplyDeleteग़म में भी गीत गाए ख़ुशी के
आँसू को पी पी कर निकले
बदले मौसम पर हम न बदले हैं
रंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं...........wah ji bahut sundar aur bahut sach bhio
बदले मौसम पर हम न बदले हैं
ReplyDeleteरंग बिरंगे सपने हमने देखे हैं
बहुत उम्दा कृति
रंग-बिरंगे सपने हमने देखे हैं...बेहद भावपूर्ण कविता । मन को छू जाने वाली ।
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन भावयुक्त रचना ....
ReplyDeleteखूबसूरत पंक्तियाँ...बधाई
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