मौन जो थी, वो मुखर हो, रही दिल में
आज फिर तुम्हीं, विचर हो रही दिल में
भूल बैठे थे जिसे, एक मुद्दत से
याद उसकी, कैसे घर, हो रही दिल में
चैन ऐसे में, कहाँ को, मिले हमको
आग के जैसे, असर हो, रही दिल में
बात जो उसकी, भली सी, कभी लगती
आज वो ज़हरे, असर हो रही दिल में
या ख़ुदाया, इश्क़ तूने, बनाया क्या
चाह उड़ने की, बिन पर, हो रही दिल में
--अभिषेक कुमार ''अभी''
Maun jo thi wo mukhar ho rhi dil me
Aaj fir tumhin vichar ho rhi dil me
Bhool baithe the jise ek muddat se
Yaad uski kaise ghar ho rhi dil me
Chain aise me kahan ko mile hamko
Aag ke jaise asar ho rhi dil me
Baat jo uski bhli si kabhi lagti
Aaj wo zahre asar ho rhi dil me
Ya khudaya ishq tune bnaya kya
Chah udne ki bin par ho rhi dil me
--Abhishek Kumar ''Abhi''
वाह ... उनकी बातें जो उतर जाती हीन दिल में ...
ReplyDeleteबात जो उसकी, भली सी, कभी लगती
ReplyDeleteआज वो ज़हरे, असर हो रही दिल में
इन्सां भी क्या है जो इस दिल पर किस किस का बोझ ले लेता है अच्छी रचना अविनाशजी
या ख़ुदाया, इश्क़ तूने, बनाया क्या
ReplyDeleteचाह उड़ने की, बिन पर, हो रही दिल में
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
बहुत खूब... बधाई.
ReplyDeleteखूबसूरत अल्फ़ाज़ों को सजाया है आपने...बधाई।
ReplyDelete