Sunday, 5 October 2014

हौसला है हम में कितना/Hausla hai hm me kitna

हौसला है हम में कितना वक़्त पे ये दिखाएँगे
हम अभी से क्या बताएँ वक़्त पे ही बताएँगे

लाख कर ले तू जतन पर क्या हमारा बिगाड़ेगा,
ठान ली हमने भी क़िस्मत अब ख़ुदी से बनाएँगे

ख़ूब देखे घूम हमने साथ अब तक ही तेरे हैं  
आ गई अब अक़्ल हम में कारवाँ बनते जाएँगे

चाँद जैसे घट के आता अपने पूर्ण निखार पे
हम भी गिरते और संभलते अवश्य जग मगाएँगे

क़द अभी छोटा मगर है कल गगन मुठ्ठी में होगा
जब हिमालय भर के सूरज अपने मन में जगाएँगे
-अभिषेक कुमार "अभी"
Hausla hai hm me kitna waqt pe ye dikhayenge.
Hm abhi se kyaa btaayen waqt pe hi btaayenge.

Lakh kar le tu jatn par kyaa hmaara bigaadega,
Than li hmne bhi kismat ab khudi se bnayenge.

Khoob dekhe ghum hmne sath ab tak hi tere hain,
Aa gayi ab akl hm me kaarwaan bante jaayenge.

Chand jaise ghat ke aata apne poorn nikhar pe,
Hm bhi girate or sambhlte awashy jag mgayenge.

Qd abhi chhota mgr hai kl gagan muththi me hoga,
Jab himalay Bhr ke sooraj apne man me jagaayenge.
-Abhishek Kumar ''Abhi''

Saturday, 13 September 2014

एक दूजे का साथ दें यही प्रसंशनीय है


देश की दशा अपने आप सुधर जाएगी 
जब कथनी कम हो करनी बढ़ जाएगी
चारों तरफ़ सिर्फ़ ख़ुशहाली हो जाएगी 
जब अनेकता में एकता घर बनाएगी

कहते हो तुम हिंदी की दशा दयनीय है 
आख़िर किसने किया इसे निंदनीय है
सिर्फ़ आरोप-प्रत्यारोप नहीं शोभनीय है  
एक दूजे का साथ दें यही प्रसंशनीय है

दीये से दीया जलाकर हर घर उजियारा हो
सबकी ख़ुशी सब हों सुखी बस ये नारा हो
न ये मेरा न ये तुम्हारा बस एक हमारा हो 
विश्व में परचम लहराएँ देश अपना प्यारा हो

सिर्फ़ अपना अपना फ़र्ज़ अदा करें ये वंदन है 
इस ओर जो क़दम बढ़ाए उसके सर चंदन है
सब में ईश्वर बसते हैं सब यहाँ रघुनन्दन है
आपके काम मैं आऊँ तो हार्दिक अभिनन्दन है  
-अभिषेक कुमार ''अभी''

Wednesday, 10 September 2014

दर्द की जुबाँ कहाँ/Dard ki jubaN kahan

दर्द की कोई 
जुबाँ कहाँ 
ये तो ख़ामोश हो 
दिल को 
एहसास कराती रहती है
हों महफ़िल में 
या तन्हाई में 
ये तो हरपल ही 
रूलाती रहती है 
चैन पाना चाहें
समझ न आये 
कहाँ को जायें
जहाँ भी जायें 
ये झट पहुँच जाती है
बिन पानी मछली सी
ज़िंदगी को 
छटपटाती रहती है
किसी को भी चाहत
दर्द की कहाँ ख़ुदा 
फिर क्यों ये 
बिन बुलाये ही 
आ जाती है 
रूलाती है 
तड़पाती है 
ये दर्द,
बहुत सताती है........
-अभिषेक कुमार ''अभी''
Dard ki koi 
JubaN kahan
Ye to khamosh ho
Dil ko
Ehsaas krati rhti hai.
HoN mahfil me
Ya tanhai me
Ye to harpal hi
Roolati rhti hai.
Chain pana chaheN
Samjh na aaye
Kahan ko jayeN
Jahan bhi jayeN
Ye jhat pahunch jati hai
Bin pani machhli si
Zindagi ko
chhtpatati rhti hai.
Kisi ko bhi chahat 
Dard ki kahan khudaa
Fir kyun ye
Bin bulaye hi
Aa jati hai
Roolati hai
Tadpati hai
Ye dard,
Bahut satati hai........
-Abhishek Kumar ''Abhi''